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"अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार" राज्य-गीत का मानकीकरण स्वरूप का वंदन / गायन किए जाने के संबंध मे

राज्य शासन द्वारा डॉ० नरेन्द्र देव वर्मा द्वारा लिखित छत्तीसगढ़ी गीत "अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार" को राज्य गीत घोषित किया गया है। संदर्भित पत्र के माध्यम से उक्त राज्य - गीत का गायन सभी शासकीय कार्यक्रमों के प्रारंभ में किये जाने के संबंध में लेख किया गया था। मंत्रि-परिषद में लिये गए निर्णय अनुसार सार्वजनिक कार्यक्रमों में गायन हेतु राज्य-गीत का मानकीकरण किया गया है, जो कि जनसंपर्क एवं सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाईट http://www.dpreg.gov.in एवं http://gad.cg.gov.in/notice_display.aspx में अपलोड किया गया है ।



2 / विभिन्न कार्यक्रमों के प्रारंभ में गाये जाने वाले राज्य-गीत में इसका उपयोग किया जा सकता है, इसकी अवधि 1 मिनट 15 सेकंड है । माननीकरण पश्चात् गाये जाने वाले राज्य-गीत निम्नानुसार है:-



क्रमांक एफ 10-11/2019/1 / 5. - राज्य शासन एतद्वारा डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा द्वारा लिखित छत्तीसगढ़ी गीत को राज्य गीत घोषित करता है, जो कि निम्नानुसार है:-


"अरपा पड़री के धार महानदी हे अपार,

इन्द्रावती ह पखारय तोर पड़या ।

महूँ पाँव पाँच तोर भुइँया,

जय हो जय हो छत्तिसगढ़ मइया ॥

सोहय बिन्दिया सही घाते डोंगरी, पहार

चन्दा सुरुज बने तो नयना,

सोनहा धाने के संग, लुगरा के हरियर रंग तोर बोली जइसे सुधर मड़ना ।

अँचरा तोरे डोलावय पुरवइया || 

(महूँ पाँव परंव तोर भुइँया, जय हो जय हो छत्तिसगढ़ मइया ||)

रइगढ़ हावय सुघर तोरे मँउरे मुकुट

सरगुजा (अऊ) बेलासपुर हे बहियाँ,

रड़पुर कनिहा सही घाते सुग्घर फभय

दुरुग, बस्तर सोहय पयजनियाँ,

नांदगाँव नवा करधनियाँ

(महूँ पाँव पाँव तोर भुइँया, जय हो जय हो छत्तिसगढ़ मइया ||)

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